मसखरों की करतूतें जो पहले लोगों को हँसाने का जरिया थीं, आज उतनी हँसी नहीं लातीं। यह परिवर्तन कई कारणों से हुआ है जिनमें सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक बदलाव शामिल हैं।
समाज में बदलती सोच
समाज में लोगों की सोच अब पहले से अधिक संवेदनशील हो गई है। कई बार मसखरों की हरकतें किसी के लिए अपमानजनक या असंवेदनशील मानी जा सकती हैं, जिससे उनकी हँसी का स्तर कम होता जा रहा है।
सामाजिक मीडिया और जागरूकता
सोशल मीडिया की बढ़ती पहुँच ने लोगों को हर विषय पर जागरूक बना दिया है। अब लोगों को आसानी से पता चल जाता है कि कौन सी हरकतें गलत हैं या कहाँ पर दूसरों की भावनाओं का अपमान हो सकता है। इस वजह से मसखरों के करतूतों को लेकर अब सावधानी बरती जाती है।
बदलावती मनोरंजन शैली
मनोरंजन के तरीकों में भी बदलाव आ गया है। अब लोग अलग-अलग प्रकार के कॉमेडी और हास्य सामग्री को पसंद करते हैं, जैसे कि स्मार्ट हास्य, व्यंग्य और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कॉमेडी। पारंपरिक मसखरापन अब उतना आकर्षक नहीं रहता।
व्यक्तिगत और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी पहले की तुलना में अधिक जागरूकता है। किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना अब हंसी का कारण नहीं माना जाता। इसलिए मसखरों की हरकतें कभी-कभी लोगों को असहज कर सकती हैं, जिससे हँसी की बजाय घृणा या नकारात्मकता उत्पन्न होती है।
संक्षेप में
- समाज अधिक संवेदनशील हो गया है।
- सोशल मीडिया ने जागरूकता बढ़ाई है।
- मनोरंजन के नए स्वरूप प्रचलित हुए हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बढ़ा है।
इन सभी कारणों से मसखरों की पारंपरिक करतूतें अब उतनी हँसी नहीं लातीं जितनी पहले लाती थीं।